शेयर बाजार में बीते कुछ दिनों से रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर की कंपनी जेनसोल इंजीनियरिंग का शेयर (Gensol Engineering Share) चर्चा में है. आखिर हो भी क्यों न, ये स्टॉक महज 3 महीने में ही 85 फीसदी तक टूट चुका है. इस शेयर में लगातार लग रहे लोअर सर्किट (Lower Circuit) ने निवेशकों के पसीने छुटा दिए. इसके बाद पहले मार्केट रेग्युलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने कंपनी पर बड़ा एक्शन लिया है और अब कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) ने जेनसोल इलेक्ट्रिक के खिलाफ जांच शुरू कर दी है.
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स्वत: संज्ञान लेकर शुरू की जांच
मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स (MCA) ने जेनसोल इलेक्ट्रिक के खिलाफ स्वतः संज्ञान लेकर जांच (Suo Motu Probe) शुरू कर दी है. बिजनेस टुडे पर छपी रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से रविवार को बताया गया कि मंत्रालय जेनसोल इलेक्ट्रिक में हेर-फेर की जांच कर रहा है और स्वतः संज्ञान लेकर जांच शुरू कर दी गई है. इसके साथ ही कंपनी की रेग्युलेटरीफाइलिंग और खातों की जांच की जाएगी. सूत्रों की मानें तो कंपनी के खिलाफ कोई भी कार्रवाई जांच के निष्कर्षों के आधार पर की जाएगी और जांच के लिए अभी तक कोई टाइम लिमिट तय नहीं की गई है. यह घटनाक्रम भारतीय SEBI द्वारा पारित अंतरिम आदेश के बाद आया है, जिसमें जेनसोल के प्रमोटर्स अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी पर बैन की कार्रवाई की गई है.
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SEBI ने किया फ्रॉड का खुलासा
गौरतलब है कि राइडिंग सर्विस प्रोवाइड कराने वाली कंपनी BluSmart से जुड़े प्रमोटर्स को लेकर सेबी ने फ्रॉड का खुलासा किया, तो कंपनी ने अपनी सर्विस ठप कर दी. दरअसल, आरोप है कि Gensol Engineering के प्रमोटर अनमोल सिंह ने कंपनी के पैसों का गलत इस्तेमाल किया है. वे BluSmart के को-फाउंडर भी हैं. सेबी ने जेनसोल इंजीनियरिंग और उसके प्रमोटर्स के खिलाफ सख्त एक्शन लेते हुए दोनों प्रमोटरों अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी को किसी भी डायरेक्टोरियल या प्रमुख मैनेजमेंट पद पर रहने से रोक दिया है. साथ ही उन्हें शेयर बाजार में किसी भी तरह के ट्रांजेक्शन से भी प्रतिबंधित कर दिया गया है. इतना ही नही स्टॉक स्प्लिट पर भी रोक लगा दी है.
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क्यों लिया गया एक्शन, अब आगे क्या होगा?
SEBI ने अपनी जांच में बताया कि दोनों प्रमोटर्स ने Gensol Engineering में फंड का दुरुप्रयोग किया है. साथ ही शेयर बाजार में हेरफेर करने के लिए भ्रामक जानकारी भी दी है. सेबी अब कंपनी की फाइनेंशियल एक्टिविटीज की गहन जांच कराने के लिए एक फॉरेंसिक ऑडिटर नियुक्त करेगी. यह रिपोर्ट छह महीने के भीतर देने को कहा है.
ईवी खरीद को लेकर जांच में सामने आया है कि जेनसोल इंजीनियरिंग ने करीब ₹975 करोड़ का टर्म लोन लिया था. इसमें से ₹663.89 करोड़ से 6,400 इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) खरीदे जाने थे, लेकिन सिर्फ 4,704 गाड़ियां खरीद गईं, जिनकी कीमत ₹567.73 करोड़ बताई गई. ऐसे में बाकी राशि का कोई खास स्पष्टीकरण नहीं मिला है.इस कंपनी को लेकर आरोप है कि बाकी रकम प्रमोटर्स और उनके रिश्तेदारों से जुड़ी संस्थाओं को डायवर्ट की गई. इसमें लग्जरी खर्च, रियल एस्टेट की खरीद और परिजनों को कैश ट्रांसफर करना शामिल है.
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शेयर ने निवेशकों का किया बुरा हाल
अब बात करते हैं Gensol Engineering Share की, जिसमें लोअर सर्किट लगने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. हालात ये हैं कि महज 3 महीनों के भीतर ही ये स्टॉक 85 फीसदी तक फिसल गया है. बीते 20 जनवरी 2025 को जेनसोल शेयर की कीमत 771.40 रुपये थी, जो घटकर बीते गुरुवार को 116.54 रुपये रह गई. स्टॉक के बुरी तरह टूटने से कंपनी का मार्केट कैप भी घटकर 448.20 करोड़ रुपये रह गया है.
(नोट- शेयर बाजार में किसी भी तरह के निवेश से पहले अपने मार्केट एक्सपर्ट्स की सलाह जरूर लें.)
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